खाद्य प्रणाली में ताकत का असंतुलन

पर्यावरण के मुद्दों का अध्ययन करने वाले विद्वान अक्सर जलवायु परिवर्तन और ग्रीनहाउस उत्सर्जन के लिए किसानों को ही दोषी ठहराते हैं। जबकि किसान पूरी इमानदारी से प्राकृतिक संसाधनों और मिट्टी का सही प्रंबधन करते हैं ताकि प्राकृति का ज्यादा नुकसान ना हो। असल में किसान कोई ऐसी पद्धति अपनाता है जो टिकाऊ नहीं उसके लिए नई तकनीक और अनुसंधान है जो एक खास रिसर्च सिस्टम के जरिये आए हैं और इनमें निजी क्षेत्र की भी भूमिका है। लेकिन यह बात कोई भी आपको नहीं बताता है।

Read More

To Balance Food Systems

Sunita, a smallholder farmer in India, barely ever receives a price higher than the production cost for her corn; nor does Abike for her wheat in Nigeria, even though demand is soaring. Both – like the majority of the world’s farmers – are tormented by cheaper imports fuelled by agricultural trade agreements within the World Trade Organisation (WTO) framework. This drives down the farmgate prices for farmers in food-importing countries while incentivising industrial agricultural production in food-exporting countries, which depends on extensive use of fertilisers, energy and pesticides, and contributes to biodiversity loss.

Read More

खाद्य प्रणाली में संतुलन

भारत की सुनीता और  नाइजीरिया की अबीके  मक्का  और गेहूं  उगाने वाले  छोटे किसान हैं । दुनिया में बढ़ती खाद्यान्न की मांग और बढ़ती उपभोक्ता कीमतों के बावजूद, दोनों ने शायद ही कभी अधिक आय अर्जित की है। यह हकीकत केवल इन देशों की नही है बल्कि इंडोनेशिया, पाकिस्तान, नाइजीरिया ,बंग्लादेश, मेक्सिको  जैसे 10 देशों में जहां अधिकतर परिवारों  की आजीविका कृषि पर निर्भर है, वहां उत्पादन लागत  बढ़ने  के कारण किसानों के मुनाफे का दायरा सिकुड़ता जा रहा है।  इस चरमराती हुई खाद्य व्यवस्था के कारण इन परिवारों के खर्च ज्यादा बढ़ गये जिसके कारण यह परिवार अधिक गरीबी में जीने के लिए मजबूर हैं । इसका सबसे बडा प्रभाव यह है कि आज बडी संख्या मे लोग अपने खेत- खलिहानों को छोडकर गांव से शहरों और विदेशों की ओर पलायन कर रहे हैं।

Read More